बैंक निजीकरण को रोकना इतना आसान नहीं रह गया है। - Daniel Singh

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Thursday, June 17, 2021

बैंक निजीकरण को रोकना इतना आसान नहीं रह गया है।

 



सफल ट्विटर कैंपेन के लिए सभी साथियों व सहयोगियों को एक बार फिर से बहुत बहुत बधाइयां। 

लेकिन अब तक तो आप समझ चुके होंगे कि कॉरपोरेट के हाथों बिक चुकी मोदी सरकार बैंकर्स की सुनने वाली नहीं है। तो अब उनको सुनाना होगा जो चुनावी माहौल में बैंकर्स की सुनें, लेकिन इसके लिए बैंकर्स को अपनी ताक़त भी दिखानी होगी। इसलिए एक नए ट्विटर कैंपेन को शुरू करने की ज़रूरत हैं। हमें बैंकों के निजीकरण के खिलाफ अन्य पार्टियों को प्रेरित करने की ज़रूरत है। कोई भी पार्टी हमें तब तक महत्व नहीं देगी जब तक उसे बैंकर्स की इस ताक़त का अहसास न हो कि वे भी वोटों में 1 -2 % का स्विंग ला सकते हैं। उन्हें इसका अहसास कराने से पहले हमें खुद में यह आत्मविश्वास पैदा करना होगा कि हममें वह ताक़त है कि जनता के 1- 2 % वोटों की दिशा हम बदल सकते हैं। और यह आत्मविश्वास लाने के लिए केवल एक मिनट लगता है। अपनी विल पवार / इच्छाशक्ति का प्रयोग कीजिये और इस विश्वास को अपने भीतर दृढ़ कर लीजिए। जीत आपकी होगी, पर हर दिन लड़ाई लड़नी होगी। कभी सोशल मीडिया पर और कभी जनता के बीच जा कर। आज की लड़ाई एक बार फिर ट्विटर पर है। जीत के लिए अग्रिम बधाइयां। पोस्ट को फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर करना मत भूलियेगा।


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