जो सरकार आज एक बार फिर आत्मनिर्भर भारत की बात कर रही है वह यह बात अच्छी तरह जानती है कि बिना बैंकों की सक्रिय भागीदारी के इस बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। एक ओर सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की सारी जिम्मेदारी बैंकों पर डाल दी है वहीं दूसरी ओर बैंक कार्मिकों की सरकार को कोई परवाह ही नही है। मोदी सरकार झटपट निर्णय लेने व उन्हें तुरंत कार्यान्वित करने के लिए प्रसिद्ध है लेकिन 2012 से उसी वेतनमान पर चल रहे बैंक कर्मियों के वेतन रिवीजन से सरकार को कोई मतलब नहीं है। न केवल लंबित वेतन रिवीजन बल्कि बैंक कर्मियों की किभी समस्या से केंद्रीय सरकार को कोई सरोकार नहीं है। lockdown के दौरान केंद्र सरकार हर तरह के निर्देश / गाइडलाइंस जारी करती रही है। सफाई कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों यहाँ तक कि राशन बाँटने में लगे कर्मियों के लिए भी 50 लाख की कोविड 19 की सुरक्षा दी जा चुकी है। 50 लाख की सुरक्षा इन सभी कार्मिकों को बिना पद के आधार पर कोई भेद भाव किये सभी को समान रूप से दी गयी है, पर बैंक कार्मिकों को कोविड19 से सुरक्षित करने के मामले में मोदी सरकार पूरी तरह मौन धारण किये हुए है। 2012 के बाद से बैंक कर्मियों का वेतन पुनर्निधारण भी नहीं हुआ है। इस मामले में न तो PM और न ही FM के मुँह से कोई बोल फूटता है। कोविड 19 से सुरक्षा के मामले में केंद्रीय सरकार ने आज तक बैंकों को कोई निर्देश जारी नहीं किये, जिसके फलस्वरूप भिन्न भिन्न बैंकों ने अलग अलग फैसले लिए। कुछ ने अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए एक समान सुरक्षा राशि रखी। वहीं कुछ ने अधिकारियों व कर्मचारियों की सुरक्षा राशि अलग अलग रखी हैं। ज़्यादातर बैंकों ने 10 से 20 लाख तक कि सुरक्षा का ही प्राविधान किया है, जो यह बात सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि केंद्र सरकार व सरकार के इशारे पर चलने वाले बैंक प्रबंधन दोनों की ही दृष्टि में न बैंक कर्मियों का कोई सम्मान है और न ही उनकी जान की किसी को परवाह है। सभी बैंकों ने अभी तक अपने स्टाफ के लिए कोविड 19 से सुरक्षा के प्राविधान नही किये हैं।
एक और बहुत ही ज़रूरी बात है, जिसपर सबको ध्यान देना चाहिए कि किसी भी बैंक ने बैंक मित्रों के लिए कोविड 19 से सुरक्षा के लिए कोई प्राविधान अब तक नहीं किये हैं। PMGKY को कार्यान्वित करने में बैंक मित्रों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन केंद्रीय सरकार की उनके प्रति उदासीनता निंदनीय है। बैंकों में कार्यरत अंशकालिक/ अनियमित सफ़ाई कर्मियों, गार्ड्स, आफिस बॉय आदि की न तो केंद्रीय सरकार को कोई चिंता है और न ही बैंकों को। क्या उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं है ? सच तो यह है कि किसी भी बैंक कर्मी की अपेक्षा बैंकों के अनियमित सफाईकर्मियों, गार्ड आदि को संक्रमण का खतरा सबसे ज़्यादा है। इस बात को जानकर भी सभी जिम्मेदार लोग, अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं।केंद्रीय सरकार व बैंकों का बैंक के अनियमित कर्मियों / बैंक मित्रों के प्रति यह रवैया बेहद गैर जिम्मेदाराना व अपमान जनक है।
डैनियल सिंह
मुख्य ट्रस्टी
जस्टिस फ़ॉर बैंकर्स फाउंडेशन